
संस्मरण, दक्षिण भारत के श्री कार्तिकेय स्वामी से सुदूर पूर्व में मुलाक़ात
संस्मरण, दक्षिण भारत के श्री कार्तिकेय स्वामी से सुदूर पूर्व में मुलाक़ात | मनाली शहर का छिपा हुआ मंदिर व दिव्य अनुभूति
दक्षिण भारत में कार्तिकेय स्वामी को बहुत नामों से पूजा जाता है | उन्हें मुरुगन,स्कन्ध, कुमार व सुब्रमनियम भी कहा जाता है पर हमारे देश में सुदूर पूर्व में जहाँ विदेशियों के आक्रमण का प्रभाव कम रहा , वहां आज भी भारत की संस्कृति के अंश मोजूद हैं | मजेदार बात है की वहां के रीति रिवाज व मंदिरों की शैली सुदूर दक्षिण शैली से मेल खाती है |
इस मंदिर के बारे में हमे कुछ नहीं पता था | हम तो सुबह होटल से निकलते थे और पास की सड़कें नापा करते थे | वहां मंदिर की घंटियों की आवाज़ आया करती थी पर मंदिर नहीं दिखता था | उसके बाद जिज्ञासा और बढ़ी और हमने होटल मेनेजर से मंदिर के बारे में पुछा | जानकारी मिली की नज़दीक ही उस गांव के देवता कार्तिकेय का मंदिर है | हमे हैरानी हुई क्योंकि कार्तिकेय स्वामी को दक्षिण भारत में पूजा जाता है |
हमने आस पास पता किया और जानकारी मिली की पगडंडियों का एक रास्ता ऊपर की और जाता है | वहां से होते हुए हम अगले ही दिन वहां वहां पहुँच गए | मंदिर के बाहर बहुत बड़ा प्रांगण था | आस पास काफी शांति थी | पर मंदिर बंद था | वहां एक और से सीडियां ऊपर पहाड़ी की और जा रहीं थीं | परन्तु सीढियों के कोने में एक तख्ती लगी थी जिस पर लिखा था की ऊपर जाना मना है | हमें जिज्ञासा हुई तो वहां जा रहे एक व्यक्ति से पुछा की वहां वो तख्ती क्यों लगी है | मालूम हुआ की वो स्थान कार्तिकेय स्वामी का प्रिय स्थान है | गाँव के लोग वहां नहीं जाते क्योंकि कार्तिक स्वामी को शुद्धता और पवित्रता बहुत प्रिय है | अशुद्ध व्यक्ति को वहां जाने पर कार्तिकेय स्वामी के क्रोध का सामना करना पडता था |
हम काफी देर तक वहीँ रुके रहे क्योंकि होटल पास में था और वो जगह काफी शांति वाली थी इसलिए हम अगले दिन भी वहां गए थे, परन्तु उस दिन भी मंदिर बंद था | दर्शन की चाह थी इसलिए कुछ मायूस से हम पास के पत्थरों पर बैठ गए | सोचा की भगवान शायद हमे पसंद नहीं करते |
हम ऑंखें बंद कर ध्यान लगा रहे थे की ऐसे न मिलने का क्या कारण है | अचानक हमें उन्होंने बोला की मैं तुमसे कल मिलूंगा. कल सूर्योदय के समय आ जाना, जरूर मिलूँगा | हमने आस पास देखा पर कोई नहीं था |
यह बात हमने पत्नी से भी कही पर वो हंसने लगी | उसे लगा हम मजाक कर रहे हैं | वो भी दर्शन न होने से मायूस थी |
अगले दिन हम सुबह सुबह ही वहां पहुँच गए | मंदिर खुला हुआ था | इस मंदिर में केवल पुरुषों को जाना allowed है | हमने अन्दर तक जा कर देखा | मंदिर का गर्भ दो द्वारों के भीतर था | कार्तिकेय स्वामी की मूर्ती काफी पुरानी लग रही थी | मूर्ती लकड़ी पर उकेरी गयी थी | हमने आँखें बंद करीं तो वो फिर बोले, “कहा था ना आज मिलूंगा, देवताओं की बात पर विश्वास किया कर “
यह विचित्र अनुभूति थी | इस मंदिर के बाहर हम काफी देर तक बेठे रहे क्योंकि वहां बहुत शांति मिल रही थी |
यह मंदिर इस बात को दर्शाता है की भारत देश में सुदूर पूर्व में अभी भी हमारे देश के कुछ अंश अक्षुण्ण अवस्था में मोजूद हैं |
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