ज्योतिष और ज्योतिषी
ज्योतिष और ज्योतिषी
इस लेख में अनेक त्रुटियां हैं अतः विद्वद्जनों से क्षमा चाहूंगा.
बचपन से ज्योतिष में रूचि होने के कारण और स्वयं के पितामह की साधु संतो में रूचि के कारण और कुछ पूर्व जन्मों के संस्कारों के कारण मुझे ऐसे विद्वद्जनों से संपर्क में सदा आनंद की अनुभूति होती थी. परन्तु सत्य ये भी है की इस खोज में मैंने ऐसे लोगों से भी मुलाकात की जो केवल ज्योतिष के किताबी ज्ञान में पारंगत थे.
ऐसे ही एक टीवी प्रोग्राम में एक यूनिवर्सिटी के ज्योतिष विभागाध्यक्ष को आमंत्रित किया गया. मुझे आगंतुकों से प्रश्न पूछने थे. ये महाशय
जयपुर में काफी प्रसिद्ध हैं. क्योंकि हमारे पास कोई कुंडली नहीं थी और यह प्रथम दिन था इसलिए डायरेक्टर साहिब ने सोचा की हम अपनी अपनी
कुंडलियां बचवा लेते हैं. प्रथम कुंडली मेरी थी. इन साहब को कुंडलियां पहले ही दे दी गयीं थी
मेरी कुंडली के बारे में उनका विचार था की मै एक केमिकल की फैक्ट्री चलाता हूँ , मेरे अनेक प्रेम प्रसंग हैं और में बहुत धनवान व्यक्ति हूँ. डायरेक्टर साहब ग्लास के पीछे खड़े खड़े हंस रहे थे. अगली कुंडली डायरेक्टर साहिब की थी. इन साहब ने उन्हें डॉक्टर बना दिया. मुझे बहुत हैरानी थी ये व्यक्ति ज्योतिष विभागाध्यक्ष कैसे बना होगा. ये व्यक्ति बहुत कक्षाएं लेते हैं और इन्होंने बहुत ज्योतिषियों को पढ़ाया है. उस दिन उस लाइव टीवी प्रोग्राम में जांची गयी हर कुंडली गलत थी. एक भी बात सही नहीं थी. मुझे सचमुच बहुत हैरानी हुई.
मेरी कुंडली में शुक्र वर्गोत्तम है और आत्मकारक है केवल इसलिए अनेक ज्योतिषियों ने मुझे प्रेम प्रसंगों में पड़ा बताया. एक महाशय जो बहुत प्रसिद्द ज्योतिषी हैं उन्होंने तो मुझे पॉलिटिशियन बना दिया. सत्य ये है की केवल किशोरावस्था में सन्यास में रूचि के कारण मैं घर छोड़ कर चला गया था. मैंने केदारनाथ के आस पास के कई इलाकों में भूमि शयन किया है वो भी तब जब वहां सदा बघेरों का भय रहता था. मुझे सदा ईश्वर में रूचि रही है.
इनमे कुछ अज्ञात ज्योतिषी ऐसे भी थे (उन्हें तांत्रिक कहना अधिक सही रहेगा ) जिनकी भविष्यवाणी एकदम सटीक थी. उन्होंने दस बारह साल आगे की भविष्यवाणी भी पूर्ण सटीकता से की थी .
वास्तव में बहुत से ज्योतिषी मिथ्या ज्ञानी हैं (ध्यान रहे की मैं स्वयं एक ज्योतिषी हूँ). बहुत से ज्योतिषी केवल लोगों को डरा धमका कर पैसे उगाने का कार्य करते हैं.ICAS में एक ज्योतिषी जो हमे पढ़ाते थे उनकी हालात इतनी खराब थी की एक बार टोकने पर पूरा पाठ भूल जाते थे. वे स्वयं को बहुत प्रकांड पंडित बताते थे पर दंभ और पांडित्य साथ साथ नहीं चलते.
वास्तव में ज्योतिष ज्ञान बहुत दुरूह साधना की तरह है. केवल पुस्तक पाठ से ज्योतिष का ज्ञान नहीं होता और ज्योतिषी को केवल पढ़ने पर भी ये हांसिल नहीं होता है. १९९६ में ज्योतिष की कक्षा में, मैं सबसे काम उम्र का व्यक्ति था और हमारी कक्षा में ६४ विद्यार्थी थे. पर विशारद करते समय केवल तीन ही पूर्ण उत्तीर्ण थे. ज्योतिष के लिए स्वयं का चरित्र व अंतर्मन पूर्ण शुद्ध होना आवश्यक है. दंभ, शिथिल चरित्र. लोभ, अशुद्ध मन, सदा माया में लीन व्यक्ति ज्योतिषी नहीं बन सकता. वो नाम कमा सकता है, आमजन को मूर्ख बनाकर पैसे ऐंठ सकता है पर जब उसका सामना असली विद्वद्जनों से होता है तो ऐसा व्यक्ति अक्सर खिस्यानी बिल्ली के तरह हो जाता है.
ज्योतिष के मानद ग्रंथों में ज्योतिषी के लिए जो नियम बताये गए हैं उनके लिए तपश्चर्या की आवश्यकता है जो आजकल के शॉर्टकट वाले युग में ज्योतिषियों के गले नहीं उतरती.
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